यूँ जमीन पर बैठकर क्यों आसमान देखता है

यूँ जमीन पर बैठकर क्यों आसमान देखता है ❤️,
पंखों को खोल जमाना सिर्फ़ उड़ान देखता है! 📜❤️

Himmat Shayari